गूगल के 'इंकॉग्निटो मोड' के इर्द-गिर्द उठे विवाद ने ऑनलाइन डेटा प्राइवेसी के मुद्दे को एक बार फिर से हवा दी है। इंकॉग्निटो मोड, जिसे निजी ब्राउज़िंग के लिए डिज़ाइन किया गया है, ने यूजर्स को यह आश्वासन दिया था कि उनकी ब्राउज़िंग हिस्ट्री और डेटा सुरक्षित रहेगा। हालांकि, हाल ही में सामने आए आरोपों ने इस दावे की सच्चाई पर सवाल उठाए हैं।

यूजर्स ने गूगल पर यह आरोप लगाया है कि इंकॉग्निटो मोड में भी कंपनी उनकी जानकारी इकट्ठा कर रही थी। इस जानकारी को Google Analytics, कुकीज़, और गूगल की अन्य ऐप्स के जरिए इकट्ठा किया गया था। यह आरोप न केवल गूगल के विश्वास को झटका देता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि यूजर्स की गोपनीयता किस हद तक संकट में है।

इस मुद्दे को सुलझाने के लिए, गूगल ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके अंतर्गत कंपनी को अपने डेटाबेस से अरबों डेटा रिकॉर्ड्स को नष्ट करने का निर्देश दिया गया है। इस समझौते की राशि 5 अरब डॉलर से अधिक बताई गई है। हालांकि, गूगल सीधे तौर पर किसी तरह की राशि का भुगतान नहीं करेगा। इसके बजाय, यह समझौता यूजर्स को व्यक्तिगत तौर पर गूगल के खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार देता है,